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Bhoramdev mandir kawardha chhattisgarh | छत्‍तीसगढ़ का खजुराहों भोरमदेव मंदिर | मड़वा महल, छेरकी महल भोरमदेव | kabridham tourist places kawardha | bhoramdev mahotsav kawardha kabirdham

Bhoramdev mandir kawardha chhattisgarh


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छत्‍तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर छत्‍तीसगढ़ का एक बहुत ही खुबसुरत पुरातात्‍विक मंदिर है, जो छत्‍तीसगढ़ के कबीरधाम कवर्धा जिले के चौराग्राम में स्थित हैं, इस मंदिर की अद्भुत बनावट लोगो को लुभान्‍वित करती है, इस मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते है, यह मंदिर खजुराहो के मंदिर समुह और कोणार्क के सूर्य मंदिर के तरह नागर शैली में बना है, खजुराहो मंदिर का निर्माण चंदेलवंशीय शासको द्वारा करवाया गया था । और कवर्धा भोरमदेव का यह मंदिर खजुराहो के मंदिरो के समान है, यह मंदिर अपनी दिवारों पर उत्‍किर्णत मैथुन आकृतियों के लिए भी काफी प्रसद्धि है, इस मंदिर की दूरी जिला मुख्‍यालय कबीरधाम से लगभग 18 कि.मी. और छत्‍तीसगढ़ की राजधानी रायपूर से 125 कि.मी. दूरी पर स्थित है, इस मंदिर के इतिहास के बारे में बात करें तो पुरातत्‍व विभाग द्वारा बताया जाता है, इस मंदिर का निर्माण 11 वीं शताब्‍दी में फणीनागवंशी राजा गोपाल देव द्वारा करवाया गया था । ऐसा कहा जाता है कि गोड़ राजाओं के देवता भोरमदेव थे एवं वे भगवान शिव के उपासक थे । भोरमदेव शिव जी का ही एक नाम है, जिसके कारण इस मंदिर का नाम भोरमदेव पड़ा । 

छत्‍तीसगढ़ का खजुराहों भोरमदेव मंदिर


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मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाये तो यह मंदिर दो भाग में बना है, मंदिर का अग्र भाग एक मण्‍डप की तरह और पश्‍च भाग दो मंजिलों में बटा हुआ है, जिसके गर्भगृह में भगवान शिव की मुर्ति स्‍थापित है, मंदिर के मंडप में रखी हुई एक दाढ़ी मूंछ वाले योगी की बैठी हुई मुर्ति पर एक लेख लिखा है जिसमें इस मुर्ति के निर्माण का समय कल्‍चुरी संवत 8.40 दिया है इससे यह पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण छठवे फणी नागवंशी राजा गोपाल देव के शासन काल में हुआ था । कल्‍चुरी संवत 8.40 का अर्थ 10 वीं शताब्‍दी के बीच का समय होता है । मंदिर का मुख पूर्व की ओर है । मंदिर नागर शैली मे बना एक बहुत ही खुबसुरत मंदिर है, मंदिर का बाहरी भाग बलुआ पत्‍थर से बनवाया गया है, और आंतरिक भाग के कुछ हिस्‍से मुर्तियां और चौखट ग्रेनाइट पत्‍थ्‍र से बने हुए है, 

मड़वा महल, छेरकी महल भोरमदेव



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भोरमदेव मंदिर परिसर से कुछ दूरी पर मड़वा महल और छेरकी महल स्‍थान स्थित है, इनका निर्माण 1349 ई. में फणीनागवंशी राजा रामचन्‍द्रदेव द्वारा करवाया गया था । मड़वा महल और छेरकी महल दोनो के ही बारे में कुछ खास बातें प्रसिद्ध है, मड़वा महल के बारे में कहा जाता है, कि यह शादी के मं‍डप की स्‍मारक है, जो पुरा बनने के बाद गाज से छति के कारण उपर का मण्‍डल टुट गया था जिसे जीर्णोधार के समय उल्‍टा करके लगा दिया गया है, यह भी बलुआ और ग्रेनाइट पत्‍थरों से निर्मित है, मड़वा महल की दिवरों पर आपको काफी सारी कामुक मुर्तियां देखने को मिलेगी इन मैथुन आकृतियों के बारे में बताया जाता है, कि इन्‍हें वंशवृद्धि के लिए इस महल के चारों ओर बनवाया गया था । मड़वा महल 16 स्‍तंभों पर निर्मित है, इससे कुछ दूरी पर छेरकी महल स्थित है, जो रामचन्‍द्रदेव द्वारा बनवाया गया था । इस मंदिर के बारे में खास बात है, कि कहा जाता है, इस मंदिर के पास छेरी या बकरी की गंध आती है, इसके लिए कहा जाता है, कि पहले इस महल के पास छेरियों को बांध के रखा जाता था । जिसके साक्ष्‍य के रूप में आपको यहां पीपल का पेड़ भी दिखाई देगा । हर दिन जब सूर्य उदय होता है तो वह पहले छेरकी महल के दर्शन करता हैं, और जब वह अस्‍त होता है तो वह मड़वा महल के शिव जी का दर्शन करता है ।

Kawardha kabirdham tourist places


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भोरमदेव मंदिर परिसर के पास आपको भोरमदेव तालाब, लक्ष्‍मण झूला, पहाड़ी वाली दुर्गा मां मंदिर, चिल्‍फी घाटी भी देखने को मिलेगी यहां भोरमदेव मंदिर के पास संग्रहालय भी स्थित है, मंदिर परिसर में कहीं भी घुमने के लिए कोई शुल्‍क की आवश्‍यकता नहीं हैं, यहां हर साल मार्च के महीने में भोरमदेव महोत्‍सव का भी आयोजन होता है, इस महोत्‍सव का आनंद लेने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं, आपके और आपके पुरे परिवार के लिए भोरमदेव का यह ट्रीप जरूर लाजवाब होगा आपको यहां मैकल पर्वत श्रेणी की छांव में बसा यह खुबसुरत सा पुरातात्‍विक मंदिर आस-पास के चिल्‍फी घाटी के नजारे मंदिर तालाब लक्ष्‍मण झूला जरूर पसंद आयेंगे । तो आप भी अपना भोरमदेव का टूअर प्‍लान जल्‍द से जल्‍द जरूर किजीए और हमसे अपना अनुभव जरूर साझा किजीए । 

My Experience


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दोस्‍तों मैं भोरमदेव की सैर दो बार कर चुका हूं पहली विजीट पर मैं सारे मंदिरो और पर्यटन स्‍थलों को नहीं देख पाया था अधिक जानकारी नहीं होने के कारण मैं इसे समझ भी नहीं पाया था । लेकिन जब मैने अपना दूसरा ट्रीप किया मैने भोरमदेव और उसके आस-पास की सारी जगहों को एक्‍सप्‍लोर करने की कोशिश की और मेरा इस ब्‍लाग पोस्‍ट को लिखने का भी यही उद्येश्‍य है की आप लोगो को इन खुबसुरत से पर्यटन स्‍थलों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी मिल सके छत्‍तीसगढ़ के खजुराहो के बारे और अधिक जानने के लिए आप मेरा नीचे दिया हुआ युट्युब का वीडियों भी देख सकते हैं । धन्‍यवाद





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