Ganga Dussehra 2022 | गंगा दशहरा मेला छत्तीसगढ़ | गंगा दशहरा रीति रिवाज | Ganga dussehra india june 2022
Ganga Dussehra 2022
गंगा दशहरा जल प्रतिष्ठा का एक बहुत ही प्रसिद्ध पर्व हैं, जो पुरे भारत में मुख्यत किसानो द्वारा मनाया जाता है, छत्तीसगढ़ में गंगा दशहरा बड़े धुम-धाम से मनाया जाता है, छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान क्षेत्र है, जहां प्राकृतिक जल स्त्रोतों एवं नदियों का बहुत महातम्य है । गंगा दशहरा उत्सव यहां की सामाजिक , आर्थिक महत्ता को रेखांकित करता है । इस उत्सव के द्वारा सामान्य जन, जल और उसके जीवन से सम्बन्ध का उत्सव मानते हैं। भारतीय जीवन और संस्कृति में नदियों का विशेष महत्व है । भारत में गंगा, गोदावरी , यमुना, सरस्वती, ब्रम्हपुत्र आदि महत्वपूर्ण नदियां हैं, जिन्हें प्राणदायनी माना जाता है। इनमें देव नदी गंगा भारतीयों के जीवन में धार्मिक आस्था से जुड़ी हुई है। और इसी से जुड़ा है गंगा दशहरा का पर्व और दशहरा मेला । छत्तीसगढ़ के सरगुजा अंचल में गंगा दशहरा पर्व बिल्कुल ही अनूठे ढंग से मनाया जात है। इस अवसर पर यहां पांच दिनों तक मेला लगता है। यह पर्व यहां पांच दिनों तक मेला लगता है। यह पर्व यहां की लोक संस्कृति को समझने में सहायक है।
गंगा दशहरा मेला छत्तीसगढ़
ग्राम सरहरी का गंगा दशहरा मेला, सरगुजा देव नदी गंगा की उत्पत्ति के संबंध में मान्यता है कि राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों की अस्थ्यिों को विसर्जित करने के लिए कठोर तपस्या कर गंगा को पृथ्वी लोक में आने से पहले गंगा ब्रम्हा के कमण्डल में थी । राजा भागीरथ की कठोर तपस्या के फलस्वरूप गंगा, ब्रम्हा के कमण्डल से शिव की जटा में प्रवाहित होती हुई पृथ्वी लोक में अवतरित हुई । इस तरह राजा भागीरथ ने अपने पुरखों की अस्थ्यिों को विसर्जित कर मुक्ति दिलायी। शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा, पृथ्वी लोक में अवतरित हुई थी। इसलिए इस दिन गंगा दशहरा का पर्व, देवी गंगा को समर्पित त्योहार के रूप में मनाया जाता है। गंगा दशहरे के दिन से वर्षा का आगमन होने लगता है और दसों दिशाओं में हरियाली छाने लगती है। अत इस दिन वर्षा आगमन का स्वागत करते हुए खुशियां जाहिर की जाती हैं।
गंगा दशहरा रीति रिवाज
वराह पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र में गंगा स्वर्ग लोक से पृथ्वी लोक में अवतरित हुई थी। माना जाता है कि इस दिन गंगा दशहरा सम्बन्धी अनुष्ठान संपन्न करने से दस प्रकार के पाप नष्ट होते हैं। गंगा दशहरा के दिन गंगा पूजन में दस का अंक शुभ माना जाता है। आज के दिन की पूजा दस प्रकार के फूल,गंध,दीपक पान के पत्ते और फल आदि से की जाती है। कमल दल से परिपूर्ण साधु तालाब, ग्राम सरहरी पर गंगा दशहरा के अनुष्ठान संपन्न करने हेतु एकत्रित हुआ महिलाओं का समूह , सरगुजा साधु तालाब के किनारे अनुष्ठानिक कार्यों हेतु कलसा में पानी भारती हुई महिलाएं, सरगुजा साधु तालाब के किनारे अनुष्ठानिक कार्यों में व्यस्त महिलाएं, सरगुजा साधु तालाब के किनारे अनुष्ठानिक कार्यों में व्यस्त महिलाएं , सरगुजा
मान्यता है कि गंगा जल के छींटे मात्र काया पर पड़ने से शरीर और आत्मा शुद्ध हो जाते हैं, इसलिए इस दिन गंगा नदी में डुबकी भी लगाते हैं। यदि कोई व्यक्ति गंगा तक नहीं जा पाता है, तब वह घर के आस-पास किसी नदी, तालाब या किसी गंगा तुल्य जलाशय में जाकर स्नान, ध्यान करने से पुण्य की प्राप्ति कर सकता है।
छत्तीसगढ़ के सरगुजा अंचल में गंगा दशहरा का पर्व धूम-धाम से मनाया जाता है। सरगुजा वासियों की मान्यता है कि गंगा दशहरे के दिन पुरइन कमल के पत्ते से युक्त जलाशय को गंगा तुल्य मानकर इसकी पूजा-अर्चना की जाती है।
गंगा दशहरे के दिन किसी स्थानीय जलाशय में, साल भर आयोजित शुभ कार्यों से सम्बंधित सामान जैसे- विवाह का मौर, कक्कन , कलश, बच्चे के जन्म के समय का नाल व छठठी का बाल आदि को विसर्जित किया जाता है। इस दिन बैगा, पुरोहित पूजा-अर्चना करवाता है। गंगा पूजन नारियल, सुपारी, फल-फूल और अगरबत्ती से किया जाता है।
गंगा दशहरा में किये जाने वाले परंपरा एवं रस्म
1 कठपुतली विवाह के हल्दी संस्कार हेतु हल्दी पीसती बालिका।
2 कठपुतली विवाह के लिये, गुड्डा गुड्डी को कपड़े पहनाकर विवाह मंडप में हल्दी संस्कार हेतु संस्कार हेतु रखा गया है।
3 कठपुतली विवाह के लिए, विवाह मंडप में बनाया जाने वाला चौक।
4 कठपुतली विवाह के लिए, विवाह मंडप में मध्य में विवाह स्तम्भ खड़े किये गये हैं, अनुष्ठान हेतु कलस में पानी, धान की बालियां आदि राखी है और चौक बनाया गया है।
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