Madku dweep | मदकु द्वीप बिलासपुर मुंगेली | मदकू द्वीप बिलासपुर का इतिहास | Madku dweep bilaspur chhattisgarh | Madku dweep kanha hai | madku dweep mela
Madku dweep
मदकु द्वीप मुंगेली जिले छत्तीसगढ़ का एक बहुत ही खुबसुरत पर्यटन स्थल व पिकनिक स्पाट हैं साथ ही यह स्थान पुरातात्विक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है शिवनाथ नदी के बीच में बसा यह द्वीप कछुए के समान आकृति वाले मंडुक द्वीप के नाम से छत्तीसगढ़ के एक अद्वभुत पर्यटन स्थल के रूप मे प्रसिद्ध है तो आइए आज इस मदकु द्वीप के बारे में कुछ चर्चा करते है ।
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मदकु द्वीप बिलासपुर मुंगेली
मदकु_द्वीप_बिलासपुर_मुंगेली |
यह द्वीप अपने पुरातात्विक मंदिरो व मसीही मेले के लिए काफी प्रसिद्ध है अगर हम इस मदकु द्वीप पर नजर डाले तो यह द्वीप शिवनाथ नदी के किनारे बसा हुआ एैतिहासिक रूप से छत्तीसगढ़ के लिए महत्वपूर्ण हैं पर इसके इतिहास की जड़ें तो कई वर्षों पुरानी है तो आइए इस पर चर्चा करें जैसे ही आप इस द्वीप मे पहुंचते हैं तो दांयी ओर आपको मंदिरो का समुह देखने को मिलता जिन्हें छत्तीसगढ़ पुरातात्विक विभाग द्वारा संरक्षण प्राप्त हैं सबसे पहले आपको धूमेश्वर महादेव मंदिर फिर श्रीराम मंदिर फिर थोड़ी दूर पर श्री राधा कृष्ण मंदिर, श्री गणेश मंदिर और श्री हनुमान मंदिर देखने को मिलता हैं।
माण्डूक्य_ऋषि_मदकु_द्वीप |
शिवनाथ नदी से परिवृत और जैव विविधता से परिपूर्ण यह सुरम्य द्वीप परम्परागत रूप से माण्डूक्य ऋषि की तपोस्थली होने के कारण अपने मंदकू द्वीप नाम को सार्थक करता है। माण्डूक्य ऋषि ने यहीं बैठकर अपने मण्डोपनिषद की रचना की थी । मदकू द्वीप की आदि काल से इसलिए पवित्र स्थल माना जाता है क्योंकि यहां पर आकर शिवनाथ नदी की धाराएं ईशान कोण मे बहने लगती हैं और यह दिशा वास्तुशास्त्र के अनुसार सबसे पवित्र दिशा मानी जाती है। पूर्व में यहां के कुछ प्राचीन प्रतिमाओं और स्थापत्य खण्ड ग्रंथा योनिपीठ गणेश नंदी, राजपुरूष,योद्धा, आमलक और कलश आदि प्रकाश में आये थे जिनके आधार पर इस द्वीप खण्ड पर अनेक प्राचीन मंदिरों के भग्नावशेष दबे होने के संकेत मिलने लगे थे। यहां के पुरातात्विक वैभव को प्रत्यक्ष करने हेतु संस्कृति एवं पुरातात्व विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इस स्थल का पुरातात्विक उत्खनन और संरक्षण कार्य वर्ष 2011 में किया गया। उत्खनन के पश्चात बलुआ पत्थर निर्मित 19 मंदिरो का समुह और अनेक प्रतिमाएं उद्वघटित हुर्ह है जिनकी तिथि लगभग 11 वीं शताब्दी से 14 शताब्दी आंकी गई है। अधिकांश मंदिरों में गर्भगृह में स्पार्तलिंग और योनिपीठ स्थापित हैा एक-एक मंदिर उमा-महेश्वर और गरूढ़ारूढ़ लक्ष्मीनारायण से समर्पित हैं । मंदिरो में मध्य का सबसे बड़ा मंदिर पश्चिमाभिमुखी है तथा उसके दोनों ओर से मंदिर पूर्वाभिमूखी है तथा आकार में क्रमश छोटे होते जाते हैं।
मदकू द्वीप बिलासपुर का इतिहास
यहां से प्राप्त मुर्तियों में वेणुवादक कृष्ण,अम्बिका,भृत्य,गणेश,महिषासुर मर्दनी, उपासनारत राजपुरूष योद्धा आदि उल्लेखनीय हैा इस स्थान की सबसे विशिष्ट उपलब्धि बारह स्पार्तलिंगो का प्राप्त होना है। इससे यह सिद्ध होता है कि कल्चुरी काल में यह स्थान स्पार्त पूजा का एक महत्वपूर्ण केन्द्र होने के साथ-साथ धर्मसहिष्णुता का जीवंत उदाहरण था । अनेक मंदिरों के सामने राजपुरूषों की उपासक मुद्रा में प्रतिमाएं मिली हैं । जिससे ऐसा प्रतित होता है कि रतनपुर के कल्चुरी शासको के वंशजों ने यहां पर मंदिरों का निर्माण करवाया था। राजा प्रतापमल्लदेव (1198-1218) का तांबे का सिक्का भी प्राप्त हुआ हैं। उत्खनन से ज्ञात हुआ है कि यह प्राचीन देवसंकुल नदी की बाढ़़ के कारण ध्वस्त हो गया था।
Madku dweep kanha hai
मदकू_द्वीप_बिलासपुर |
यह खुबसुरत सा नदी के किनारे बसा हुआ पर्यटन स्थल बिलासपुर से लगभग 37 कि.मी. दूर बैतलपुर के पास 4 कि.मी. स्थित है और मुंगेली से 49 कि.मी. दूरी पर स्थित है यहां बिलासपुर से इस द्वीप पर आने के लिए ऑटो और टैक्सी सुविधा हमेशा उपलब्ध होती है यहां आने के दो रास्ते है एक देवकर से होकर कच्चे रास्ते के जरिये और एक बैतलपुर से 4 कि.मी. दूरी पर मदकुगांव से पहले इस द्वीप पर सिर्फ बोट के सहारे आया जा सकता था पर अब ऐनीकट बन जाने के कारण यहां पैदल भी या किसी साधन के द्वारा भी आया जा सकता हैं
Madku dweep bilaspur chhattisgarh
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लोग यहां पुरातात्विक मंदिरो में भ्रमण के बाद गार्डन का और बोटिंग का लुफत उठा सकते हैं यहां मदकू द्वीप से छोटे मदकू द्वीप तक की बोटिंग ट्रीप भी होती है साथ ही यह एक बहुत प्रसिद्ध पिकनिक स्पाट भी है शिवनाथ नदी के किनारे इस आइलेंड पर लोग भारी मात्रा में नव वर्ष और अन्य अवसरों पर पिकनिक मनाने आते है खासकर की जब यहां मसीही मेले का आयोजन होता है जो 4 फरवरी से 12 फरवरी तक होता है जिसमें ईशु के अनुयायी यहां आते हैं साथ ही मेले में लोग फैमिली और फे्ंडस के साथ क्वालिटी टाईम व्यतित करना पसंद करते हैं।
My experience
दोस्तों मैं इस खुबसुरत पर्यटन स्थल मदकू द्वीप में एक बार आया हुं और मै कह सकता हूं कि जितना हम इस द्वीप के बारे में जानते है और जितना खुबसुरत हम इस द्वीप को सोंचते है वह इससे भी कहीं ज्यादा सुंदर और अच्छा हैं। चाहे वह यहां के पुरातात्विक मंदिर हो या यहां का मसीही मेला हो माण्डुक्य ऋषि कि तपोस्थली हो सब कुछ जो मैने इस ब्लाग में लिखा उससे भी कहीं ज्यादा खुबसुरत हैं और इसकी सुदंरता को आप इस जगह जाकर ही महसूस कर सकते हैं। तो जब आप यहां जाऐं हमसे अपना अनुभव जरूर साझा करें
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