Madwarani mandir korba chhattisgarh | माँ मड़वारानी मंदिर कोरबा छत्तीसगढ की कहानी
Ma Madawarani mandir, korba chhattisgarh
Madawarani mandir, korba-champa road |
नमस्कार दोस्तों मैं किशन आपका स्वागत करता हूं मेरे इस ब्लाग पे तो दोस्तो आज का यह ब्लाग मॉं मडवारानी मंदिर कोरबा के बारे में हैं, जैसा कि आप में से काफी लोगो को पता होगा यह मॉं मडवारानी का मंदिर कोरबा जिले जो बिलासपुर संभाग में है, और बिलासपुर से लगभग 110-120 कि.मी. दूरी में स्थित हैं, तो दोस्तो मैं आपको इस मंदिर के इतिहास और इससे जुड़ी कुछ कहानियॉं भी बताउंगा तो सबसे पहले जान लेते हैं कि आप यहाँ कैसे पहुँच सकते हैं, |
मॉं मड़वारानी मंदिर कोरबा कैसे पहुँचे
Ma madwarani, korba, chhattisgarh |
यह मंदिर पहाड़ो की गोद में कोरबा जिला मुख्यालय से लगभग 30 कि.मी. दूरी पर हैं, आप यहाँ कोरबा से बस, ऑटो, या किसी भी अन्य साधन से आ सकते हैं, चॉंपा से यह लगभग 35 कि.मी. की दूरी पर हैं, और चॉंपा से आप यहॉं बस, ऑटो, या रेल किसी भी साधन से आ सकते हैं, जब आप यहॉं आते हैं तो रोड पर ही आपको छोटा मॉं मड़वारानी का मंदिर या मॉं मड़वारानी का प्रतिरूप देखने को मिलता हैं, जिसकी पुजा के लिए छोटा सा मंदिर बना हैं, इस मंदिर के बायें ओर से मॉं मड़वारानी मंदिर जाने के लिए रोड हैं, जो लगभग 4-5 कि.मी. लंबी पहाड़ में खड़ी उपर की ओर जाती जहॉं बस से जाना सम्भव नहीं हैं, |
मॉं मड़वारानी मंदिर और उनसे जुडी़ कहानियॉं
मॉं मड़वारानी मंदिर अपने भक्तों की प्रिय हैं, उनके भक्त सदियों से यहाँ होते गये हैं उनकी महीमा और परोपकार के साक्ष्य बने हुये हैं उनका मानना हैं की मड़वारानी उनके और उनके परिवार की रक्षा करती हैं, और उनको संकट से बचाती हैं, साथ ही मॉं मड़वारानी पहुँचने पर आपको उनके बारे में बहुत सारी कहानियाँ बड़े बुजुर्गो से सुनने को मिलती हैं,
1. कहा जाता है दोस्तो जब मॉं मड़वारानी की शादी उनके पिता जी द्वारा तय कर दी गई थी वे यें शादी नहीं करना चाहती थी और वे अपना शादी के मंडप को छोड़कर भाग गई मंडप जिसे छत्तीसगढ़ में मड़वा भी कहते हैं, और भागकर वे बरपाली-मड़वारानी के
रास्ते इस ग्राम में पहूंची जहां उनके शरीर पर शादी के लिए लगी हल्दी एक पत्थर पर पड गया जिससे वह पत्थर पीला पड गया जिसका साक्ष्य आज भी इस ग्राम में देखा जा सकता हैं, मॉं मड़वारानी ने पहाड पर ही शरण ले ली और वहीं से उन्हे मॉं मड़वारानी कहा जाने लगा जिसके बाद भक्त श्रद्धालुओं की वे मॉं मडवारानी बन गई और लोगों पर उनकी कृपा बनी रहीं |
2. इसके अलावा एक और कहानी प्रचलित है, दोस्तो जो कनकी के शिव मंदिर से जुड़ी हुई और कहा जाता हैं कि मॉं मडवारानी कनकी के शिव धाम से शिव जी से आशीर्वाद लेकर इस ग्राम में आ गई और यहॉं के लोगो की रक्षा करने लगी साथ जब आप यहॉं मंदिर आते हैं तो आपको यहॉं कल्मी के पेड़ देखने को मिलते हैं जिसके बारे में कहा जाता कि मॉं मड़वारानी द्वारा अपने भक्तो के लिए कल्मी के पेड़ पर जब नवरात्रि आती है तो पत्तियों में जवा उग जाता जिसका साक्ष्य आपको यहां के ग्रामवासीयों से पुछकर पता चल सकता हैं और यह भी कहा जाता जब जवा उगा हेाता है तब सापों को इन कल्मी पेड़ों के आस-पास विचरण करते देखा जा सकता हैं, |
मॉं मडवारानी मंदिर के आस-पास अन्य पर्यटन स्थल
Ma madwarani mandir |
Hasdeo nadi |
जब आप यहॉं आते हैं, दोस्तो तो आपको बहुत सारे पर्यटल स्थल तो रास्ते मे ही देखने को मिलते हैं, लेकिन इस ग्राम में भी मंदिर के अलावा कुछ अन्य पर्यटन स्थान हैं जो काफी लुभान्वित हैं, तो उन्हें अगर आप यहाँ आते हैं तो देखना मत भुलियेगा इन स्थलों में शामिल हैं
(थीपा-पानी, चुरही-टोला,हनुमान मंदिर,छोटी मॉं मडवारानी मंदिर, खरहरी वाटर स्टाप डेम,हसदेव नदी तट पिकनिक स्पाट)
तो इस प्रकार दोस्तो आपको ये कुछ खास पिकनिक स्पाट यहाँ मिल जाते हैं घुमने जो श्रद्धालुओं के लिए ही हैं, जब मंदिर मे इतनी उपर पहाड पर चढ़कर थक जाते हैं तो इन स्थानो में जाकर विश्राम कर सकते हैं, |
My experience
तो दोस्तो अंत में मैं आपसे अपना अनुभव शेयर करना चाहुंगा मैं इस मंदिर में दो बार आ चुका हुँ और लगभग सारे मुख्य स्थल घुम चुका हुँ पर सच में यह जो मंदिर नवरात्रि में सजा हुआ आस-पास के जंगल से आच्छादित पहाडो मे एैसा लगता हैं मानों आपको भगवान ने अपने दर्शन ही दे दीये हो सच में दोस्तो मॉं मड़वारानी सिर्फ इस ग्राम के लोगो की नहीं बल्कि हम सब पर भी क़ृपा करती और सुरक्षा बनायी रखती हैं अगर दोस्तो आप इस मंदिर में नहीं आये तो जल्द हीं आये और मॉं मड़वारानी के इस मंदिर का स्वयं अनुभव किजीये अगर नहीं आ पा रहे हैं किसी कारण तो यह रहा आपके लिए मॉं मड़वारानी मंदिर का मेरा एक युटय्रब विडीयो |
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