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CG Unexplored - Pali's mysterious 9th century temple | Pali shiv mandir korba chhattisgarh | shiv nagari pali | पाली शिव मंदिर

Hello Guys,

My name is kishan markam i am from chhattisgarh i am a traveler ,wanderer ,foodie. I like to visit places which are rich in history and our chhattisgarhi  culture. I have visited so many beautiful and spiritual places of chhattisgarh some of them are famous and some are infamous and through this series of blogs CG Unexplored i will share my experience with you. The sole purpose of these blogs is to familiarize people of chhattisgarh what rich culture their land beholds, to help them find places which are rich with the history of this land, help them find places the most and the least famous spiritual, historical, crowded places of chhattisgarh which will be a combinations of temples, old monuments , national park, wild-life sanctuary and many more and also to share some of my experience of these places so keep hanging around i will be posting new blogs every week.
Today i am going to share with you my experience of a historical place pali which has the famous shiv temple built by the kalchuri kings.    























बिलासपुर-कटघोरा मार्ग पर स्थित पाली का महादेव मंदिर सबसे पुराना है। मंदिर पर मौजूद 
अभिलेख के अनुसार इसका निर्माण बाण वंश के राजा विक्रमादित्य ने 870 से 900 ईसवी के बीच करवाया था। इस मंदिर की विशेषता यह है कि वह लाल बलुए पत्थर से बने पूर्वाभिमुख वाले इस  मंदिर में गर्भगृह व अष्टकोणीय मंडप है। मुख्य मार्ग पर स्थित पाली में 11वीं शताब्द का शिव मंदिर जो कि प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है।



इतिहास:


बांण वंशीय राजा विक्रमादित्य द्वितीय ने करवाया निर्माण
मंदिर के चारों तरफ उकेरे गए शिल्प नयनाभिराम हैं। ऊपर की तरफ जहां देवी देवताओं को प्रदर्शित किया गया है, वहीं नीचे श्रृंगार रस से ओत प्रोत नायिकाओं को विभिन्न् मुद्राओं में खजुराहो की तर्ज पर प्रदर्शित किया गया है। हिन्दु आस्था के प्रतीक इस प्राचीन मंदिर का निर्मांण बांण वंशीय राजा विक्रमादित्य द्वितीय ने करवाया था। मंदिर का निर्मांण लाल बलुआ पत्थरों को तराश कर किया गया था। इस मंदिर को लेकर कई तरह की किंविदंतियां यहां प्रचलित हैं।

                           
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नौवीं सदी में हुआ मंदिर का निर्माण
मंदिर के अन्दर एक शिलालेख खुदा हुआ मिला है, जिसमें 'श्रीमद जाजल्लादेवस्य कीर्ति रिषम" लिखा है। इसके आधार पर यह माना जाता रहा कि मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में हुआ और इसके बाद कलचुरी वंशीय यशस्वी राजा जाजल्लदेव प्रथम के समय 11 वीं सदी के अंत में इसका जीर्णोंद्धार हुआ होगा। 19 वीं सदी में भारत के प्रथम पुरातात्विक सर्वेक्षक राबर्ट कन्न्घिम ने मंदिर का निरीक्षण कर इसके बारे में लेख लिखे थे।

Hope this article give you a good view of Pali's shiv temple if you will ever visit here don't forget to share your experience with us thank you for visiting!

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