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Showing posts from May, 2022

Dhitori pahad korba chhattisgarh | ढिटोरी पहाड़ कोरबा रामाकछार छत्‍तीसगढ़ | ढिटोरी पहाड़ कोरबा शिवलिंग आकृति वाला कोरबा का पहाड़ | korba tourist places | korba picnic spots

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Dhitori pahad korba chhattisgarh कोरबा जिला पठारीय भाग होने के कारण इस जिले में बहुत सारे उंचे पहाड़ और पठार स्थित हैं, कोरबा का पठारीय भाग बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, गौरेला पेंड्रा मरवाही तक फैला हुआ हैं, जिसके बीच में आपको काफी सारे पठार देखने को मिलेंगे इनमें से कुछ पहाड़ शहरो और गांव से दूर लोगो से दूर जंगल में स्थित हैं, और गांव और शहरों के करीब होने के कारण लोगो के लिए मनोरंजन का कारण बन चुके हैं, इनमें से कुछ पहाड़ पर लोग एडवेंचर ट्रेकिंग करने जाते हैं, एैसा ही एक अद्भुत पहाड़ हैं, कोरबा का ढिटोरी पहाड़ जो कोरबा जिलें में कोरबा जिला मुख्‍यालय से लगभग 80 कि.मी. की दूरी पर रामाकछार नामक छोटे से गांव में स्थित हैं, यह कोरबा जिले के उन चुने पर्यटन स्‍थलों में से एक हैं, जहां सालाना पर्यटकों की भीड़ लगी होती हैं, इस पहाड़ की उंचाई लगभग 1000 मी. हैं, और यह कोरबा की उंचे पहाड़ो में से एक हैं, पर्यटन की दृष्टि से महत्‍वपूर्ण इस पहाड़ तक पहुंचने का रास्‍ता काफी दुर्गम हैं, और यहां पहुंचने के लिए सिर्फ एक ही सड़क हैं, और वह भी बरसात और सही समय पर मरम्‍मत नहीं कराये जाने के कारण खराब हो चुकि

Matingarh matin dai mandir korba | मातिन दाई मंदिर कोरबा छत्‍तीसगढ़ | मातिन राज मातिन पहाड़ कोरबा मातिनखास | korba tourist places | korba picnic spots | matin dai mandir chhattisgarh

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Matingarh matin dai mandir korba मातिन दाई मंदिर कोरबा का एक छिपा हुआ अद्भुत खुबसुरत सा मंदिर है, मातिनखास का यह स्‍थान कभी छत्‍तीसगढ़ के 36 गढ़ो में से एक था । वर्तमान में यह छत्‍तीसगढ़ के कोरबा जिले का एक छोटा सा गांव हैं, जहां मातिन पहाड़ पर मातिन दाई का एक छोटा सा मंदिर स्थित है, मातिन गढ़ के अंदर 84 गांव सम्‍मिलित होते थे ,समय के साथ छत्‍तीसगढ़ के ये 36 गढ़ कहां विलुप्‍त हो गये किसी को इसकी खबर नहीं है, लेकिन आज भी लोगो द्वारा मातिन दाई कि पुजा की जाती हैं, और माता के प्रति लोगो के मन में श्रद्धा का भाव बना हुआ हैं, वर्तमान में यह जगह मातिन दाई मंदिर और मातिन पहाड़ के कारण काफी प्रसिद्ध हैं, यहां नवरात्रि में लोगो कि काफी भीड़ होती हैं, यहां पहुंचने के लिए कोरबा पेंड्रा मेन हाईवे से जटगा तक फिर वहां से रानीअटारी के रास्‍ते में मातिन नामक एक छोटा सा गांव स्थित हैं, इसकी दूरी कोरबा जिला मुख्‍यालय से 73 कि.मी. और बिलासपुर जिला मुख्‍यालय से 116 कि.मी. हैं, यहां पहुंचने के लिए कोई वाहन सुविधा उपलब्‍ध नहीं होने के कारण आप केवल स्‍वयं साधन से यहां तक पहुंच सकते हैं, मातिन दाई मंदिर कोरबा

Bhagmati devi betari masturi bilaspur | भागम‍ती देवी बेटरी मस्‍तुरी | मस्‍तुरी के बिलासपुर में तपस्‍या में बैठी चमत्‍कारी लड़की भागमती देवी | bilaspur tourist places | bilaspur picnit spots | masturi bilaspur tapasya me baithi tapiswini ladki bhagmati devi

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 Bhagmati devi betari masturi bilaspur विश्‍व में भारत में अद्भुत लोगो कि कमी नहीं हैं, संसार के किसी न किसी जगह आपको अनेक एैसे लोग देखने को मिलेंगे जिनमें अलग अलग प्रकार की क्षमताएं हैं जो आपको आम जनता में देखने को नहीं मिलेगी विज्ञान के मुताबिक इनमें से कुछ लोगो की व्‍याख्‍या विज्ञान दे सकता हैं, पर कुछ लोगो के बारे में विज्ञान में भी कोई जवाब नहीं हैं, एैसे ही एक सख्‍शियत के बारे में हम जानेंगे । दोस्‍तो मैं छत्‍तीसगढ़ के अलग-अलग जगहों की लोगो के कल्‍चर, खानपान और पर्यटक स्‍थलों की सैर करता रहता हूं मैने बहुत सारे अद्भुत लोगों से मुलाकात की हैं, एैसे से ही सैर करते हुए मैं एक दिन मस्‍तुरी के एक खुबसुरत से गांव बेटरी में पहुंचा जहां एक ग्रामीण भक्‍तिन से मेरी मुलाकात हुई जिनका नाम है, भागमति देवी इनका भक्‍ति स्‍थान बेटरी मस्‍तूरी में स्थित है, जो बिलासपुर जिले में हैं, इसकी दूरी जिला मुख्‍यालय से 33 कि.मी. है, और यहां 24 घंटे वाहन की उपलब्‍धता होती है, भागम‍ती देवी बेटरी मस्‍तुरी भागमती देवी बेटरी गांव में मस्‍तूरी तहसील में लीलागर नदी के किनारे गांव से थोड़ी दूरी पर खेतों के पास एक

Mawali mata mandir singarpur baloda bazar | मावली माता मंदिर सिंगारपुर भांटापारा बलौदा बाजार | मावली मंदिर सिंगारपुर बलौदा बाजार | baloda bazar tourist places | baloda bazar picnic spots

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Mawali mata mandir singarpur baloda bazar बलौदा बाजार जिले के सिंगारपुर नामक छोटे से गांव में हैं, मावली माता का खुबसुरत मंदिर यह मंदिर बहुत ही सुंदर और भव्‍य है, पिछले कुछ सालों तक इस मंदिर की चर्चा उतनी नहीं होती थी जितनी की इंटरनेट पर लोगो के द्वारा अभी होती है, इस मंदिर की बनावट काफी विशाल और खुबसुरत है, इसके बनावट की तुलना रतनपुर के महामाया मंदिर से कि जाती है, सिंगारपुर अपने तहसील मुख्‍य शहर भाटापारा से 11.8 कि.मी. दूर, जिला मुख्‍यालय बलौदाबाजार से 34.8 कि.मी. दूर है और इसकी राजधानी रायपुर से 75 कि.मी. दूर है । सिंगारपुर में देवी माउली माता का एक प्रसिद्ध मंदिर है । माना जाता है कि शिव, ब्रम्‍हा और विष्‍णु की इच्‍छा से माउली माता यहां प्रकट हुई । माता माउली की प्रतिमा की स्‍थापना अत्‍यंत प्राचीन समय में की गई थी । मावली माता मंदिर सिंगारपुर भांटापारा बलौदा बाजार मावली माता को दंतेश्‍वरी माता की बहन कहा जाता है, माता के नाम से लोगो में बहुत आस्‍था है, कहा जाता है, माता लोगो की संतान संबंधी मनोकामना को पूरा करती है, मनोकामना पुर्ति के लिए यहां देश-विदेश से श्रद्धालु मां मावली के दर

Khuntaghat dam bilaspur chhattisgarh | खुंटाघाट जलाशय खारंग जलाशय रतनपुर बिलासपुर | Khuntaghat bandh bilaspur ratanpur | kharang jalashay sanjay gandhi jalashay ratanpur bilaspur

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Khuntaghat dam bilaspur chhattisgarh खुंटाघाट बांध छत्‍तीसगढ़ के प्रसिद्ध बांधों में से एक बांध है, यह बांध छत्‍तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के रतनपुर नामक धार्मिक नगरी के पास स्थित है, यह जगह बांध बनने से पहले एक गांव हुआ करती थी जिसे खुंटाडीह या खुटाघाट कहते थे । बिलासपुर जिला मुख्‍यालय से इस स्‍थान की दूरी 31 कि.मी. और रायपुर राजधानी से इसकी दूरी 148 कि.मी. है, पर्यटन की दृष्टि से यह जगह बहुत ही प्रसिद्ध है, साथ ही रतनपुर धार्मिक और पुरातात्‍विक स्‍थल के निकट होने के कारण इस जगह में लोगो की भीड़ 12 महीना बनी रहती है, इस बांध के बारे में बात करें तो यह बांध सन् 1920 में बनाया गया था जिसे सारंग नदी परियोजना- खुंटाघाट बांध या संजय गांधी परियोजना कहा जाता है, ब्रिटिश राज के समय इस बांध का निर्माण कि गया था उस जमाने में यह जगह एक छोटा सा गांव हुआ करता था जिसमें न्‍यून संख्‍या में लोग रहा करते थे जब बांध बनाने का प्रस्‍ताव लाया गया तो गांव वालो के द्वारा उसका विरोध भी किया गया खारंग द्वारा निर्मित इस बांध के निर्माण कि प्रकिया काफी रोचक है, जब यह बरसात में खारंग नदी द्वारा जलमग्‍न हो गया तो लो

Bhoramdev mandir kawardha chhattisgarh | छत्‍तीसगढ़ का खजुराहों भोरमदेव मंदिर | मड़वा महल, छेरकी महल भोरमदेव | kabridham tourist places kawardha | bhoramdev mahotsav kawardha kabirdham

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Bhoramdev mandir kawardha chhattisgarh छत्‍तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर छत्‍तीसगढ़ का एक बहुत ही खुबसुरत पुरातात्‍विक मंदिर है, जो छत्‍तीसगढ़ के कबीरधाम कवर्धा जिले के चौराग्राम में स्थित हैं, इस मंदिर की अद्भुत बनावट लोगो को लुभान्‍वित करती है, इस मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते है, यह मंदिर खजुराहो के मंदिर समुह और कोणार्क के सूर्य मंदिर के तरह नागर शैली में बना है, खजुराहो मंदिर का निर्माण चंदेलवंशीय शासको द्वारा करवाया गया था । और कवर्धा भोरमदेव का यह मंदिर खजुराहो के मंदिरो के समान है, यह मंदिर अपनी दिवारों पर उत्‍किर्णत मैथुन आकृतियों के लिए भी काफी प्रसद्धि है, इस मंदिर की दूरी जिला मुख्‍यालय कबीरधाम से लगभग 18 कि.मी. और छत्‍तीसगढ़ की राजधानी रायपूर से 125 कि.मी. दूरी पर स्थित है, इस मंदिर के इतिहास के बारे में बात करें तो पुरातत्‍व विभाग द्वारा बताया जाता है, इस मंदिर का निर्माण 11 वीं शताब्‍दी में फणीनागवंशी राजा गोपाल देव द्वारा करवाया गया था । ऐसा कहा जाता है कि गोड़ राजाओं के देवता भोरमदेव थे एवं वे भगवान शिव के उपासक थे । भोरमदेव शिव जी का ही

Hasdeo river korba sarguja | #Savehasdeo #river #chhattisgarh movement | महिलाओं द्वारा चिपको आन्‍दोलन | Hasdeo river sarguja korba surajpur chhattisgarh

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Hasdeo river korba sarguja हसदेव नदी छत्‍तीसगढ़ की मुख्‍य न‍दीयों में से एक है, हसदेव नदी का उदृगम कैमुर पहाडी़, सोनहत के पठार कोरिया से होता है, हसदेव नदी छत्‍तीसगढ़ के कोरिया, सूरजपूर, सरगुजा, कोरबा और जांजगीर-चांपा जिलों से होकर गुजरती है, यह छत्‍तीसगढ़ की प्रसिद्ध नदी महानदी की एक प्रमुख सहायक नदी है, इस नदी का अधिकांश प्रवाह क्षेत्र उबड़-खाबड़ है। इसकी कुल लंबाई 176 कि.मी. है। हसदेव नदी के किनारे छत्‍तीसगढ़ के कई सांस्‍कृतिक केन्‍द्र स्थित है । जैसे - सर्वमंगला मंदिर, कनकी, मुक्‍तामणि नाम साहेब की समाधि स्थिली, मदनपूरगढ़ पर्यटन स्‍थल आदि । हसदेव नदी सरगुजा और कोरबा क्षेत्र के अधिकांश कृषि एवं अरण्‍य भाग को सिंचित करती है, छत्‍तीसगढ़ की यह नदी लोगो और अनेक जीवधारियों के लिए वरदान है, जिस पर कई जीवधारी एवं जनजातीय जीवन आश्रित है, हाल ही के दस सालो में हसदेव बेसिन एवं इसके आस-पास के जंगली क्षेत्रो में खनिज पदार्थों के अत्‍यधिक दोहन के कारण हसदेव नदी काफी प्रदूषित हो रही है, और आस-पास का जंगली जीवन प्रभावित हो रहा है, साथ ही जंगलों में रहने वाले जीव-जन्‍तु और जनजातीय लोगो का जीवन भी इ

Ganga Dussehra 2022 | गंगा दशहरा मेला छत्‍तीसगढ़ | गंगा दशहरा रीति रिवाज | Ganga dussehra india june 2022

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Ganga Dussehra 2022 गंगा दशहरा जल प्रतिष्‍ठा का एक बहुत ही प्रसिद्ध पर्व हैं, जो पुरे भारत में मुख्‍यत किसानो द्वारा मनाया जाता है, छत्‍तीसगढ़ में गंगा दशहरा बड़े धुम-धाम से मनाया जाता है, छत्‍तीसगढ़ एक कृषि प्रधान क्षेत्र है, जहां प्राकृतिक जल स्‍त्रोतों एवं नदियों का बहुत महातम्‍य है । गंगा दशहरा उत्‍सव यहां की सामाजिक , आर्थिक महत्‍ता को रेखांकित करता है । इस उत्‍सव के द्वारा सामान्‍य जन, जल और उसके जीवन से सम्‍बन्‍ध का उत्‍सव मानते हैं। भारतीय जीवन और संस्‍कृति में नदियों का विशेष महत्‍व है । भारत में गंगा, गोदावरी , यमुना, सरस्‍वती, ब्रम्‍हपुत्र आदि महत्‍वपूर्ण नदियां हैं, जिन्‍हें प्राणदायनी माना जाता है। इनमें देव नदी गंगा भारतीयों के जीवन में धार्मिक आस्‍था से जुड़ी हुई है। और इसी से जुड़ा है गंगा दशहरा का पर्व और दशहरा मेला । छत्‍तीसगढ़ के सरगुजा अंचल में गंगा दशहरा पर्व बिल्‍कुल ही अनूठे ढंग से मनाया जात है। इस अवसर पर यहां पांच दिनों तक मेला लगता है। यह पर्व यहां पांच दिनों तक मेला लगता है। यह पर्व यहां की लोक संस्‍कृति को समझने में सहायक है। गंगा दशहरा मेला छत्‍तीसगढ़ ग्राम