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Showing posts from 2021

Dalha pahad akaltara janjgir champa chhattisgarh | Dalha pahad ka rahasya | दल्‍हा पहाड़ मंदिर अकलतरा जांजगीर चांपा छत्‍तीसगढ़ | Dalha pahad mandir | Nag panchami dalha pahad | Dalha pahad vlog

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Dalha pahad akaltara janjgir champa chhattisgarh दल्‍हा पहाड़ जांजगीर चांपा जिले का एक बहुत ही उंचा और खुबसुरत पहाड़ हैं, जो धार्मिक मान्‍यताओं के कारण छत्‍तीसगढ़ के लोगो के बीच प्रसिद्ध हैं, यहां हर साल नाग पंचमी में मेला लगता हैं, और नाग पंचमी में मेला लगने वाले छत्‍तीसगढ़ में केवल दो ही स्‍थान हैं, इस दल्‍हा पहाड़ की उंचाई तकरीबन 13123 फिट के लगभग हैं, और यहां चढ़ने के लिए उपर से पहाड़ का नजारा देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं, खासकर के महाशिवरात्रि और नाग पंचमी के दिन यहां ज्‍यादा भीड़ होती हैं,  Dalha pahad ka rahasya  दल्‍हा पहाड़ से जुड़ी हुई कई कहानियां और किवंदितियां लोगो के बीच प्रसिद्ध हैं, जानकारो का मानना हैं, कि यह दल्‍हा पहाड़ भूगार्भिक क्रिया ज्‍वालामूखी इरप्‍शन के द्धारा बना हैं, और चुंकि जांजगीर चांपा क्षेत्र पठारिय इलाका हैं, और यहां चुना-पत्‍थर पाया जाता हैं, इस प्रकार दल्‍हा पहाड़ कि चट्टाने भी चुना पत्‍थर से ही निर्मित हैं, इस पहाड़ के बारे में और लोगो कि इससे जुड़ी आस्‍थाओं के बारे में बात करें तो । यहां के लोगो का एैसा मानना हैं, कि इस दल्‍हागिरि या सुन्‍दरगि

Gidhwa parsada pakshi vihar bemetara chhattisgarh | Gidhwa bird festival (गिधवा-परसदा पक्षी महोत्‍सव) | Gidhwa bird santuary bemetara chhattisgarh | CG Tourism | Chhattisgarh tourist places

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Gidhwa parsada pakshi vihar bemetara chhattisgarh छत्‍तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में हैं, यहां का एकमात्र पक्षी विहार जिसे छत्‍तीसगढ़ का पहला पक्षी अभ्‍यारण्‍य या bird sanctuary बनाया जायेगा । यह गिधवा नामक छोटा सा गांव जो बेमेतरा से 39 कि.मी. और बिलासपुर से लगभग 61 कि.मी. की दूरी पर‍ स्थित हैं, इसे 2013 में प्रस्‍तावित किया गया था और 2015 में यह पक्षी विहार बना था । गिधवा नामक इस गांव और इसके आस-पास के गांव परसदा और मारो में विदेश से आने वाले पक्षियों के लिए बहुत ही अनुकुल वातावरण हैं, यहां के वेट लैंड में पक्षियों के लिए खाना और रहने के लिए जगह प्रचुर मात्रा में उपलब्‍ध हैं, जिसके कारण हर साल अप्रवासी पक्षी आते हैं, गिधवा और परसदा दोनो जगहों को पर्यटन स्‍थल के रूप में विकसित किये जाने की भी बात की जा रही हैं, जहां लोग जाकर अलग-अलग पक्षियों को जाकर देख पायेंगे । यहां लगभग 12 अलग-अलग देशों से लगभग 150 पक्षी आते हैं, छत्‍तीसगढ़ के इस छोटे से गांव के अलावा भारत के कर्नाटक, महाराष्‍ट्र, गुजरात, पश्‍चिम बंगाल, उत्‍तरप्रदेश, राजस्‍थान और मध्‍यप्रदेश के कई जगहों में प्रवासी पक्षी आते हैं। Gidhwa

kabir dharm nagar damakheda balodabazar chhattisgarh | कबीर नगरी दामाखेड़ा | kabir panthi guru | chhattisgarh tourist places | CG Touism | cg tourist places

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कबीर नगरी दामाखेड़ा  दामाखेड़ा रायपुर के समीप लगभग 79 कि.मी. और बिलासपुर से लगभग 58 कि.मी. छत्‍तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले का एक छोटा सा गांव हैं, जिसे छत्‍तीसगढ़ का कबीर नगरी कहा जाता है, क्‍योंकि माना जाता यहां 100 वर्षों पूर्व 1903 ई. में कबीर गुरूओं द्वारा कबीर मठ की स्‍थापना किया गया था । यह जगह बहुत ही धार्मिक मानी जाती हैं, कहा जाता हैं, यह जगह कबीरपथियों को ही समर्पित हैं, कबीर पंथ की शुरूआत कबीर दास से हुई जिनका जन्‍म वाराणसी में हुआ था । एैसा माना जाता है उनके जन्‍म के बाद उनकी माता ने उन्‍हें तालाब में छोड़ दिया जहां वे नीरू नाम के जुलाहा को मिलें जिन्‍होने कबीर जी का पालन-पोषण किया , कबीर जी प्रमुख शिष्‍य मध्‍यप्रदेश अंतर्गत बांधवगढ़ स्थित संत धनी धर्मदास साहब थे । जिन्‍हें कबीर जी ने अपना संपूर्ण अध्‍यात्‍मिक ज्ञान दिया और धनी धर्मदास के दूसरे पूत्र मुक्‍तामणि नाम साहब को 42 पीढ़ी तक कबीर पंथ का प्रचार-प्रसार करने का आशीर्वाद प्रदान किया । इस प्रकार मुक्‍तामणि नाम साहब छत्‍तीसगढ़ के प्रथम वंशगुरू कहलाये और कोरबा के कुदूरमाल में अपनी गद्वी संभाली । दामाखेड़ा की गद्वी गुरू उग

India's most expensive vegetable - Bastariya Boda mushroom | बस्‍तरिया बोड़ा की सब्‍जी | Bastar's boda mushroom production | CG Tourism | bastar ka boda

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India's most expensive vegetable - Bastariya Boda mushroom भारत के दण्‍डकारण्‍य में स्थित इस छत्‍तीसगढ़ राज्‍य के बस्‍तर संभाग में भारत की सबसे महंगी सब्‍जी पायी जाती हैं, यह केवल छत्‍तीसगढ़ के इसी संभाग में खासकर बस्‍तर और उसके आस-पास के जिलों में पायी जाती हैं, यहां मानसून आते ही बारिस की पहली बोहार के साथ यह खास तरह का मशरूम बस्‍तर के साल पेड़ के जंगलो में पाया जाता हैं, यह केवल बरसात में ही मिलता हैं, जो जून-जुलाई के महीने यहां ज्‍यादा उत्‍पादन होता हैं, माना जाता हैं, यह छत्‍तीसगढ़ और भारत का सबसे महंगा बिकले वाला सब्‍जी हैं, जिसके दाम 3000रू किलो तक भी पहुंच जाते हैं, इसका कम उत्‍पादन और एक निश्‍चित समय के लिए ही मिलना इसके महंगा होने का कारण हैं, बस्‍तर के आदिवासी जनजाति इसे जंगल से निकालकर लाते हैं, और बस्‍तर और आस-पास के जिलों के बाजारों में बेचते हैं, वर्तमान समय में इस मशरूम सब्‍जी का निर्यात आस-पास के राज्‍यों जैसे - उडि़सा, मध्‍यप्रदेश और झाारखंड में भी होता हैं, मशरूम की यह सब्‍जी दिखने में काली और गोल होती हैं, और यह साल वनो कें जंगलों में जमीन के उपरी सतह पर मिट्टी

Kotgarh mud fort Janjgir-champa chhattisgarh | कोटगढ़ किला जांजगीर चांपा छत्‍तीसगढ़ | कंकाली माता मंदिर कोटगढ़ | कोटगढ़ किला पिकनिक स्‍पॉट जांजगीर | janjgir-champa tourist places

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Kotgarh mud fort Janjgir-champa chhattisgarh छत्‍तीसगढ़ के इस छोटे से गांव कोटगढ़ मे स्थित हैं, छत्‍तीसगढ़ के इतिहास में छिपा हुआ एक अद्भुत अवशेष जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं, यहां स्थित हैं, कोटगढ़ का किला जिसे कोटगढ़ मिट्टी किला कहते हैं, यह किला चारो तरफ से एक बहुत ही बड़े मिट्टी के दिवार से घिरा हुआ हैं और किले के आगे और पीछे कुल दो द्वार हैं जो संरक्षित हैं बाकी किले के अन्‍य हिस्‍से ध्‍वस्‍त हो चुके हैं यह किला जांजगीर चांपा जिले के बारगांव नामक छोटे से गांव के पास स्थित एक अन्‍य गांव कोटगढ़ के पास स्थित हैं, यह जांजगीर से कोरबा के मुख्‍य मार्ग के किनारे जांजगीर जिला मुख्‍यालय से लगभग 22 कि.मी. बिलासपुर से 44 कि.मी. और कोरबा से 63 कि.मी. की दूरी पर स्थित है, यहां बस या कार द्वारा पहुंचा जा सकता हैं,  कोटगढ़ किला जांजगीर चांपा छत्‍तीसगढ़ कोटगढ़ के इस प्राचीन किले को भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण  ASI द्वारा एक संरक्षित स्‍मारक का दर्जा प्राप्‍त हैं, पुरातत्‍व विभाग के अनुसार इस किले का निर्माण 10 वीं शताब्‍दी में हुआ था । यह किला संभवत कल्‍चुरियो द्वारा बनवाया गया था । कि

chhata pahad girodhpuri baloda bazar chhattisgarh | छाता पहाड़ गिरौदपूरी बलौदा बाजार छत्‍तीसगढ़ | girodhpuri tourist place baloda bazar | baloda bazar tourist places | baloda bazar picnic spots

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chhata pahad girodhpuri baloda bazar chhattisgarh छाता पहाड़ गिरौदपूरी बलौदा बाजार जिले का एक बहुत ही खुबसुरत दर्शनीय स्‍थल और सतनाम पंथ के प्रर्वतक गुरू घासीदास जी की तपोस्‍थली हें, यह बलौदा बाजार जिले के उन कुछ चुने हुए पर्यटन स्‍थल में से एक हैं, जहां काफी संख्‍या में लोगो की भीड़ होती हैं, खासकर जब दिसंबर के मौसम मे गुरू घासीदास जी की जयन्‍ती मनायी जाती हैं, तब यहां बहुत ही सुंदर महौल होता हैं, तब गिरौदपूरी के इस पावन धाम में मेला भी लगता हैं, यहां कुतुबमीनार से भी उंचा जैतखाम लोगो के देखने के लिए एक बहुत ही अच्‍छी जगह हैं, यहां गिरौदपूरी में गुरू घासीदास ने अपना अधिकांश जीवन गिरौदपूरी के घने जंगलों में तपस्‍या कर लोगो को सत्‍यता और एकता के मार्ग पर चलने का एक बहुत ही अच्‍छा रास्‍ता बताया । छाता पहाड़ गिरौदपूरी बलौदा बाजार छत्‍तीसगढ़  इस छाता पहाड़ के बारे में कहा जाता हैं, की यहां गुरू घासीदास ने तपस्‍या की थी । छाता पहाड़ गिरौदपूरी के मुख्‍य मंदिर से लगभग 8 कि.मी. की दूरी पर सोनाखान रेंज या बारनवापारा अभ्‍यारण्‍य के घनघोर जंगल के पास स्थित हैं, यहां तक पहुंचने के लिए रोड बनी हुई