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Kanki dham korba


Kanki_dham_korba
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कनकी छत्‍तीसगढ़ के कोरबा जिले का एक छोटा सा गांव हैं। जो कोरबा के करतला तहसील में आता हैं, और जिला मुख्‍यालय कोरबा से लगभग 20 कि.मी. की दूरी पर स्थित हैं। कनकी छत्‍तीसगढ़ में कनकेश्‍वर धाम के नाम से प्रसिद्ध है। क्‍योंकि यहां भगवान शिव का एक पुराना मंदिर स्थित हैं। जहां शिवरात्रि में हजारों श्रद्धालु इस मंदिर मे भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। 

Chhattisgarh kanki dham korba


Kankeshwar_mahadev_mandir_kanki
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छत्‍तीसगढ़़ के इस छोटे से गांव कनकी में महाशिवरात्रि में मेला भी लगता हैं। जो काफी दर्शनीय होता हैं। यह जगह इस शिव मंदिर के अलावा प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है। वैसे तो इस मंदिर को लगभग 13 वीं शताब्‍दी का कहा जाता है। परन्‍तु पुरातात्‍विक विभाग ने इसकी पुष्टि नहीं कि हैं फिर भी मंदिर की दीवारों और चौखटों पर आपको पुरातात्‍विक मंदिरों तुमान, पाली जैसे सुन्‍दर उत्‍कीर्णन और आकृति देखने को मिलती है। मंदिर को छत्‍तीसगढ़ पुरातत्‍व विभाग द्वारा एक संरक्षित मंदिर का दर्जा प्राप्‍त है।

Kankeshwar mahadev mandir kanki


Korba_kanki_dham
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वैसे तो इस मंदिर से जुड़ी कई कहानियां प्रसिद्ध हैं। लेकिन एक कहानी आपको यहां काफी प्रचलित और रोचक मिलेगी इस कहानी के अनुसार कहा जाता हैं। एक गाय इस स्‍थान पर स्थित शिवलिंग पर दुध चढ़ाने जाती थी एक बाद ग्‍वालें ने उसे देख लिया और जिस जगह दुध गिरा वहां डंडे से प्रहार किया और वहां से टूटने कि आवाज आई उस स्‍थान पर कनकी या चांवल का दाना टूटा हुआ था जब उस जगह की साफ-सफाई कि गयी तो वहां से एक शिवलिंग मिला जिसके कारण यहां एक मंदिर बनवाया गया और कनकी या चांवल के दाने के आस-पास होने के कारण इसे कनकेश्‍वर महादेश मंदिर कहा गया और साथ ही इस स्‍थान को कनकी के नाम से जाना जाने लगा इसलिए जब आप यहां जायेंगे तो देखेंगे कि लोग शिवलिंग में चांवल के दाने चढ़ाते हैं। 

Korba kanki dham



Chhattisgarh_kanki_dham_korba
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इस मंदिर के अलावा कनकी प्रवासी पक्षियों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। यहां हर वर्ष एशियन ओपन बिल स्‍टॉर्क या घोंघिला कहे जाने वाला पक्षी (लिटिल कारमोरेनटस), जलमुर्गी दक्षिण पूर्वी एशिया मुख्‍य रूप से श्रीलंका, एवं दक्षिण भारत से यहां 15 मई के बाद मानसून आने तक आते हैं। फिर अक्‍टूबर माह के अंतिम सप्‍ताह से नवंबर माह के प्रारंभिक सप्‍ताह को यहां से वापस चले जाते है। प्रति वर्ष यहां लगभग 2500 पक्षी आते हैं। 

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तो दोस्‍तो कनकी एक बहुत ही अच्‍छी जगह हैं, जहां बहुत ही खुबसुरत शिव जी का मंदिर हैं। मैं इस जगह एक बार आया हूं और मैं आपको बता सकता हूं कि यह पर्यटन स्‍थल एक अच्‍छी जगह होगी आपके और आपके दोस्‍तों और परिवार के साथ समय बिताने के लिए वैसे तो शिवरात्रि का समय या मानसून का समय यहां घुमने के लिए सबसे बेहतर होगा पर आप यहां कभी भी आ सकते हैं। नीचे इस जगह से जुड़ा मेरा एक विडियों दिया हुआ हैं। अगर आप यहां कभी भी आते हैं तो हमसे अपना अनुभव साझा करना मत भूलियेगा।



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