turturiya dham turturiya chhattisgarh | तुरतुरिया धाम कसडोल रायपुर छत्तीसगढ़ | turturiya dham baloda bazar chhattisgarh | turturiya mata mandir chhattisgarh | turturiya dham kasdol raipur chhattisgarh
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तुरतुरिया एक बहुत ही खुबसुरत अद्भुत कहानियों के कारण प्रसिद्ध और रामायण का एक हिस्सा कही जाने वाली जगह हैं, यह छत्तीसगढ़ में तुरतुरिया धाम के नाम से प्रसिद्ध हैं, यह बलौदा बाजार जिले में स्थित एक बहुत ही खुबसुरत जगह हैं, जो एक बारनवापारा अभ्यारण्य और एक ओर महानदी और बालमदेही जैसी विशाल नदियों से घिरी हुई हैं, यहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु तुरतुरिया धाम के अनोखे बलभद्री नाले को देखने मातागढ़ के खुबसुरत पहाड़ी में स्थित मंदिर को देखने व बालमदेही नदी के किनारे पर अपने परिवार और दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने के लिए आते हैं, यहां साल के हर महीने लोगो की भीड़ होती हैं, पर खासकर लोग यहां नवरात्रि के समय आना पसंद करते हैं, यहां नवरात्रि के समय लोग माता के दर्शन तुरतुरिया धाम में विश्राम और बालमदेही नदी के किनारे समय व्यतीत करते हैं, यहां माता के मंदिर में ज्योति कलश भी जलाया जाता हैं, ठण्ड के मौसम में यहां घुमने वाले लोगो की संख्या बढ़ जाती क्योंकि उस समय यहां बारनवापारा अभ्यारण्य में लोग एनिमल वाचिंग के लिए आते हैं, यह बारनवापारा सोनाखान रेंज में स्थित यह भुमि धार्मिक कारणों से तो प्रसिद्ध है ही पर इसके साथ यह ऐतिहासिक, प्राक़तिक कारणो से भी प्रसिद्ध हैं, ये कारण क्या हैं, यह हम आगे जानेंगे।
तुरतुरिया धाम कसडोल रायपुर छत्तीसगढ़
तुरतुरिया का यह धार्मिक और ऐतिहासिक स्थान बलौदा-बाजार जिले के कसडोल तहसील के बहरिया नामक गांव के पास स्थित हैं, जो बोरसी नामक गांव से लगभग 5 कि.मी. की दूरी पर स्थित हैं, यह जगह बिलासपुर जिले से लगभग 95 कि.मी. और रायपुर शहर से लगभग 118 कि.मी. की दूरी पर स्थित हैं, यहां पहुंचने के लिए कार या बाइक का उपयोग कर सकते हैं, यह स्थान पहाड़ो से घिरा होने के कारण और अभ्यारण्य के करीब होने के कारण यहां पहुंचने के बहुत कम रास्ते हैं, और रास्तो की हालत अच्छी नहीं हैं, फिर लोगो की श्रद्धा इतनी हैं, कि वे यहां हर साल काफी बड़ी संख्या में आते हैं, इस जगह को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राम वन गमन पथ के हिस्से के रूप में छत्तीसगढ़ में पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किये जाने वाले 8 मुख्य स्थानो में चुना गया है, माना जाता हैं, श्री राम वनवास के समय इस जगह से गुजरे थे जिसके कारण यह जगह और भी पावन हो जाती हैं, जिसके कारण इसे राम वन गमन पथ के रूप में चुना गया हैं।
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इस जगह के बारे में यह मान्यता हैं, कि त्रेतायुग में यह महर्षि वाल्मिकी की तपोभुमि थी और उनका यहां आश्रम हुआ करता था। जिस कारण भी आपको यहां रामायण से जुड़े हुए चित्रांकन जैसे वाल्मिकी,राम,सीता,लक्ष्मण,लव-कुश की मुर्तियां और चित्रांकन देखने को मिलते हैं, यहां काफी सारे ऐतिहासिक वास्तुशिल्प और मुर्तियां, स्तंभ आपको देखने को मिलेंगे जो पुर्व समय की बहुत ही बेहतर और खुबसुरत कारीगरी का उदाहरण है, इन पुरातात्विक अवशेषो को 8-9 शताब्दी का माना जाता हैं, यहां एक अद्भुत नाला भी हैं, जो बलभद्री नाले के नाम से प्रसिद्ध हैं, कहा जाता हैं, इस नाले का पानी चट्टानो से होते हुए नाले के रूप में लक्ष्मण कुंड में आकर गिरता हैं, इस नाले और इस जगह का एक और नाम सुरासुरी गंगा भी है, जो इस नाले के कारण पड़ा हैं, इसी जुड़ी एक और बात हैं, कहते हैं, जब पानी इस नाले से होते हुए गौमुख से जब लक्ष्मण कुंड में गिरता हैं, तब तुरतुर की आवाज आती हैं, जिसके कारण भी इस जगह का नाम तुरतुरिया पड़ा हैं।
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इस तुरतुरिया धाम के पास एक बहुत ही खुबसुरत नदी बालमदेही बहती हैं, जो महानदी से अलग होकर इस पवित्र जगह से होते हुए बारनवापारा अभ्यारण्य को जाती हैं, इस नदी के दूसरी तरफ पहाड़ी पर एक बहुत ही खुबसुरत और इस धार्मिक कहानी को पुरा करने वाला मंदिर हैं, जिसे मातागढ़ का मंदिर कहते हैं, कहते हैं अगर यहां लोग आकर सिर्फ तुरतुरिया धाम के दर्शन कर चले जायें तो उनका दर्शन अधुरा रह जाता हैं, इसलिए उन्हे मातागढ़ की सीता माता के दर्शन भी करने चाहिए यह जगह पहाड़ी से घिरी हुई चारो तरफ पेड़-पौधो से घिरी बहुत सुंदर दिखाई देती हैं, इस जगह और तुरतुरिया धाम से जुड़ी एक रोचक कहानी नीचे दी हुई हैं।
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इस तुरतुरिया धाम के मातागढ़ के मदिर से जुड़ी एक कहानी भी बहुत प्रचलित हैं, कहा जाता हैं, कि भगवान श्री राम द्वारा परित्याग करने पर वैदेहि सीता को फिगेंश्वर के समिप सारिद अंचल ग्राम के रमई पाठ में छोड़ गये थे वही माता का निवास स्थान था सीता कि प्रतिमा आज भी उस स्थान पर हैं। जब मां सीता के बारे में महर्षि वाल्मिकी को पता चला तो माता को अपने साथ तुरतुरिया ले आये और सीता मां यही आश्रम में निवास करने लगी वही लव-कुश का जन्म हुआ।
My Experience
दोस्तो मैं इस खुबसुरत स्थान पर एक बार गया हुं, और सच में यह जगह बहुत खुबसुरत जगह है, साथ ही इस जगह से जुड़ी धार्मिक और ऐतिहासिक किवंदितियां बहुत ही रोचक है, आप इन कहानियों को बचपन से सुनते आ रहे हो या इस जगह में घुमने के बाद इन कहानियों के बारे में पता चला हो हर प्रकार से यह जगह आपको शांति और मन को भर देने वाला अनुभव जरूर देंगे साथ ही अगर आप छत्तीसगढ़ के एैसे ही रोमांचक जगहों हिस्सो को देखना पसंद करते हों या सिर्फ आप यहां अपने दोस्तो के साथ या परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिये आये हों हर प्रकार से आपको यह जगह बहुत ही अच्छा अनुभव देगी । आशा करता हुं यह पोस्ट इस जगह पर घुमने या इस जगह से जुड़ी हुई बाते जानने में आपकी मदद करेगा । तुरतरिया धाम से जुड़ा मेरा युट्युब वीडियो नीचे दिया हुआ हैं, उसे भी जरूर देखिएगा और अगर आप यहां आये हों या आने वाले हो तो हमसे अपना अनुभव जरूर साझा कीजिएगा धन्यवाद।
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