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Dalha pahad akaltara janjgir champa chhattisgarh | Dalha pahad ka rahasya | दल्‍हा पहाड़ मंदिर अकलतरा जांजगीर चांपा छत्‍तीसगढ़ | Dalha pahad mandir | Nag panchami dalha pahad | Dalha pahad vlog

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Dalha pahad akaltara janjgir champa chhattisgarh दल्‍हा पहाड़ जांजगीर चांपा जिले का एक बहुत ही उंचा और खुबसुरत पहाड़ हैं, जो धार्मिक मान्‍यताओं के कारण छत्‍तीसगढ़ के लोगो के बीच प्रसिद्ध हैं, यहां हर साल नाग पंचमी में मेला लगता हैं, और नाग पंचमी में मेला लगने वाले छत्‍तीसगढ़ में केवल दो ही स्‍थान हैं, इस दल्‍हा पहाड़ की उंचाई तकरीबन 13123 फिट के लगभग हैं, और यहां चढ़ने के लिए उपर से पहाड़ का नजारा देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं, खासकर के महाशिवरात्रि और नाग पंचमी के दिन यहां ज्‍यादा भीड़ होती हैं,  Dalha pahad ka rahasya  दल्‍हा पहाड़ से जुड़ी हुई कई कहानियां और किवंदितियां लोगो के बीच प्रसिद्ध हैं, जानकारो का मानना हैं, कि यह दल्‍हा पहाड़ भूगार्भिक क्रिया ज्‍वालामूखी इरप्‍शन के द्धारा बना हैं, और चुंकि जांजगीर चांपा क्षेत्र पठारिय इलाका हैं, और यहां चुना-पत्‍थर पाया जाता हैं, इस प्रकार दल्‍हा पहाड़ कि चट्टाने भी चुना पत्‍थर से ही निर्मित हैं, इस पहाड़ के बारे में और लोगो कि इससे जुड़ी आस्‍थाओं के बारे में बात करें तो । यहां के लोगो का एैसा मानना हैं, कि इस दल्‍हागिरि या ...

kabir dharm nagar damakheda balodabazar chhattisgarh | कबीर नगरी दामाखेड़ा | kabir panthi guru | chhattisgarh tourist places | CG Touism | cg tourist places

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कबीर नगरी दामाखेड़ा  दामाखेड़ा रायपुर के समीप लगभग 79 कि.मी. और बिलासपुर से लगभग 58 कि.मी. छत्‍तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले का एक छोटा सा गांव हैं, जिसे छत्‍तीसगढ़ का कबीर नगरी कहा जाता है, क्‍योंकि माना जाता यहां 100 वर्षों पूर्व 1903 ई. में कबीर गुरूओं द्वारा कबीर मठ की स्‍थापना किया गया था । यह जगह बहुत ही धार्मिक मानी जाती हैं, कहा जाता हैं, यह जगह कबीरपथियों को ही समर्पित हैं, कबीर पंथ की शुरूआत कबीर दास से हुई जिनका जन्‍म वाराणसी में हुआ था । एैसा माना जाता है उनके जन्‍म के बाद उनकी माता ने उन्‍हें तालाब में छोड़ दिया जहां वे नीरू नाम के जुलाहा को मिलें जिन्‍होने कबीर जी का पालन-पोषण किया , कबीर जी प्रमुख शिष्‍य मध्‍यप्रदेश अंतर्गत बांधवगढ़ स्थित संत धनी धर्मदास साहब थे । जिन्‍हें कबीर जी ने अपना संपूर्ण अध्‍यात्‍मिक ज्ञान दिया और धनी धर्मदास के दूसरे पूत्र मुक्‍तामणि नाम साहब को 42 पीढ़ी तक कबीर पंथ का प्रचार-प्रसार करने का आशीर्वाद प्रदान किया । इस प्रकार मुक्‍तामणि नाम साहब छत्‍तीसगढ़ के प्रथम वंशगुरू कहलाये और कोरबा के कुदूरमाल में अपनी गद्वी संभाली । दामाखेड़ा की गद्वी गुर...