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Kanan Pendari Zoo Bilaspur Chhattisgarh | कानन पेंडारी जूलॉजिकल गार्डन बिलासपुर छत्‍तीसगढ़ | कानन पेंडारी बिलासपुर छत्‍तीसगढ़ चिडि़याघर | कानन पेंडारी कैसे पहुंचे | bilaspur tourist places | bilaspur picnic spots

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Kanan Pendari Zoo Bilaspur Chhattisgarh कानन पेंडारी यह नाम सुनकर ही छत्‍तीसगढ़ में परिवारवालों और बच्‍चों के चेहरे खुशी से झुम उठने लगते हैं, आज यह बिलासपुर जिले का कानन पेंडारी लोगो के लिए एक बहुत ही अच्‍छा और रोमांचक पयर्टन स्‍थल बन गया हैं, खासकर के बिलासपुर जिले और आस-पास रहने वालों के लिए कानन पेंडारी एक गो टू टूरिस्‍ट प्‍लेस है, जहां वे शहर कि भागदौड़ भरी जिंदगी और थकान से दूर अपने परिवार और बच्‍चो के साथ अच्‍छा समय बीता सकते हैं, छत्‍तीसगढ़ में मुख्‍यत: 04 चिडि़याघर हैं जिनमें से एक हैं, बिलासपुर का कानन पेंडारी यहां जानवरों की कई सारी प्रजातियां स्थित हैं, जिन्‍हें देखने के लिए यहां पर्यटकों की भीड़ उमड़ती हैं, साथ ही यहां बच्‍चों के लिए झुले और खान-पान के लिए कैंटिन आदि की भी व्‍यवस्‍था की गई हैं, जो लोगो को काफी आकर्षित करते हैं, बिलासपुर आने वाले लोगो के लिए पर्यटन स्‍थलों की सूचीं में कानन पेंडारी का नाम सबसे पहले स्‍थान पर रहता हैं, अगर आप भी कभी बिलासपुर जायें तो एक बार कानन पेंडारी जरूर जाना चाहिए इस जगह के भ्रमण मात्र से आपका दिन बहुत अच्‍छा जायेगा ।  कानन पेंडारी जूलॉ

Ratanpur's bawali kunwa (रतनपुर का बावली कुंआ) | रतनपुर के बावली कुंआ का रहस्‍य | रतनपुर का बादल महल | ratanpur tourist places | ratanpur picnic spots | ratanpur badal mahal | kho kho bawali ratanpur

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 Ratanpur's bawali kunwa (रतनपुर का बावली कुंआ) रतनपुर छत्‍तीसगढ़ का एक एैसा नगर हैं, जिसे किसी भी प्रकार के परिचय कि जरूरत नहीं हैं, रतनपुर का नाम पौराणिक कहानियों में लोक में प्रचलित किंवदितियों में और इतिहास में प्रसिद्ध हैं, रतनपुर में सबसे अधिक समय तक शासन कल्‍चुरी वंश का रहा हैं, इसके अलावा यहां हैहैवंशीय राजाओं और मराठा शासकों ने भी शासन किया हैं, इन सभी राजवंशों के शासन के दौरान छत्‍तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के इस प्राचीन नगर रतनपुर में कई स्‍तर पर भौतिक और सामाजिक परिवर्तन हुए हैं, यह परिवर्तन अधिकांशत: रतनपुर के कल्‍चर और यहां कि निर्माण शैली में देखा जा सकता हैं, प्राचीन समय में यहां कई सारे प्राचीन मंदिरों और स्‍मारकों का निर्माण हुआ जिनके साक्ष्‍य आपको रतनपुर के प्राचीन मंदिरों और स्‍मारक महलों के रूप में देखने को मिलेगा ।  रतनपुर के बावली कुंआ का रहस्‍य  रतनपुर वर्षों से अनेकों राजवंशो के लिए सत्‍ता का केन्‍द्र रहा था, यहां कई वंशो द्वारा शासन किया गया था, रतनपुर कल्‍चुरी शासनकाल में छत्‍तीसगढ़ की राजधानी भी रही थी । कल्‍चुरी काल में ही रतनपुर से कुछ दूरी पर स्थ्ति लगभग

Dhitori pahad korba chhattisgarh | ढिटोरी पहाड़ कोरबा रामाकछार छत्‍तीसगढ़ | ढिटोरी पहाड़ कोरबा शिवलिंग आकृति वाला कोरबा का पहाड़ | korba tourist places | korba picnic spots

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Dhitori pahad korba chhattisgarh कोरबा जिला पठारीय भाग होने के कारण इस जिले में बहुत सारे उंचे पहाड़ और पठार स्थित हैं, कोरबा का पठारीय भाग बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, गौरेला पेंड्रा मरवाही तक फैला हुआ हैं, जिसके बीच में आपको काफी सारे पठार देखने को मिलेंगे इनमें से कुछ पहाड़ शहरो और गांव से दूर लोगो से दूर जंगल में स्थित हैं, और गांव और शहरों के करीब होने के कारण लोगो के लिए मनोरंजन का कारण बन चुके हैं, इनमें से कुछ पहाड़ पर लोग एडवेंचर ट्रेकिंग करने जाते हैं, एैसा ही एक अद्भुत पहाड़ हैं, कोरबा का ढिटोरी पहाड़ जो कोरबा जिलें में कोरबा जिला मुख्‍यालय से लगभग 80 कि.मी. की दूरी पर रामाकछार नामक छोटे से गांव में स्थित हैं, यह कोरबा जिले के उन चुने पर्यटन स्‍थलों में से एक हैं, जहां सालाना पर्यटकों की भीड़ लगी होती हैं, इस पहाड़ की उंचाई लगभग 1000 मी. हैं, और यह कोरबा की उंचे पहाड़ो में से एक हैं, पर्यटन की दृष्टि से महत्‍वपूर्ण इस पहाड़ तक पहुंचने का रास्‍ता काफी दुर्गम हैं, और यहां पहुंचने के लिए सिर्फ एक ही सड़क हैं, और वह भी बरसात और सही समय पर मरम्‍मत नहीं कराये जाने के कारण खराब हो चुकि

Matingarh matin dai mandir korba | मातिन दाई मंदिर कोरबा छत्‍तीसगढ़ | मातिन राज मातिन पहाड़ कोरबा मातिनखास | korba tourist places | korba picnic spots | matin dai mandir chhattisgarh

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Matingarh matin dai mandir korba मातिन दाई मंदिर कोरबा का एक छिपा हुआ अद्भुत खुबसुरत सा मंदिर है, मातिनखास का यह स्‍थान कभी छत्‍तीसगढ़ के 36 गढ़ो में से एक था । वर्तमान में यह छत्‍तीसगढ़ के कोरबा जिले का एक छोटा सा गांव हैं, जहां मातिन पहाड़ पर मातिन दाई का एक छोटा सा मंदिर स्थित है, मातिन गढ़ के अंदर 84 गांव सम्‍मिलित होते थे ,समय के साथ छत्‍तीसगढ़ के ये 36 गढ़ कहां विलुप्‍त हो गये किसी को इसकी खबर नहीं है, लेकिन आज भी लोगो द्वारा मातिन दाई कि पुजा की जाती हैं, और माता के प्रति लोगो के मन में श्रद्धा का भाव बना हुआ हैं, वर्तमान में यह जगह मातिन दाई मंदिर और मातिन पहाड़ के कारण काफी प्रसिद्ध हैं, यहां नवरात्रि में लोगो कि काफी भीड़ होती हैं, यहां पहुंचने के लिए कोरबा पेंड्रा मेन हाईवे से जटगा तक फिर वहां से रानीअटारी के रास्‍ते में मातिन नामक एक छोटा सा गांव स्थित हैं, इसकी दूरी कोरबा जिला मुख्‍यालय से 73 कि.मी. और बिलासपुर जिला मुख्‍यालय से 116 कि.मी. हैं, यहां पहुंचने के लिए कोई वाहन सुविधा उपलब्‍ध नहीं होने के कारण आप केवल स्‍वयं साधन से यहां तक पहुंच सकते हैं, मातिन दाई मंदिर कोरबा

Bhagmati devi betari masturi bilaspur | भागम‍ती देवी बेटरी मस्‍तुरी | मस्‍तुरी के बिलासपुर में तपस्‍या में बैठी चमत्‍कारी लड़की भागमती देवी | bilaspur tourist places | bilaspur picnit spots | masturi bilaspur tapasya me baithi tapiswini ladki bhagmati devi

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 Bhagmati devi betari masturi bilaspur विश्‍व में भारत में अद्भुत लोगो कि कमी नहीं हैं, संसार के किसी न किसी जगह आपको अनेक एैसे लोग देखने को मिलेंगे जिनमें अलग अलग प्रकार की क्षमताएं हैं जो आपको आम जनता में देखने को नहीं मिलेगी विज्ञान के मुताबिक इनमें से कुछ लोगो की व्‍याख्‍या विज्ञान दे सकता हैं, पर कुछ लोगो के बारे में विज्ञान में भी कोई जवाब नहीं हैं, एैसे ही एक सख्‍शियत के बारे में हम जानेंगे । दोस्‍तो मैं छत्‍तीसगढ़ के अलग-अलग जगहों की लोगो के कल्‍चर, खानपान और पर्यटक स्‍थलों की सैर करता रहता हूं मैने बहुत सारे अद्भुत लोगों से मुलाकात की हैं, एैसे से ही सैर करते हुए मैं एक दिन मस्‍तुरी के एक खुबसुरत से गांव बेटरी में पहुंचा जहां एक ग्रामीण भक्‍तिन से मेरी मुलाकात हुई जिनका नाम है, भागमति देवी इनका भक्‍ति स्‍थान बेटरी मस्‍तूरी में स्थित है, जो बिलासपुर जिले में हैं, इसकी दूरी जिला मुख्‍यालय से 33 कि.मी. है, और यहां 24 घंटे वाहन की उपलब्‍धता होती है, भागम‍ती देवी बेटरी मस्‍तुरी भागमती देवी बेटरी गांव में मस्‍तूरी तहसील में लीलागर नदी के किनारे गांव से थोड़ी दूरी पर खेतों के पास एक

Mawali mata mandir singarpur baloda bazar | मावली माता मंदिर सिंगारपुर भांटापारा बलौदा बाजार | मावली मंदिर सिंगारपुर बलौदा बाजार | baloda bazar tourist places | baloda bazar picnic spots

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Mawali mata mandir singarpur baloda bazar बलौदा बाजार जिले के सिंगारपुर नामक छोटे से गांव में हैं, मावली माता का खुबसुरत मंदिर यह मंदिर बहुत ही सुंदर और भव्‍य है, पिछले कुछ सालों तक इस मंदिर की चर्चा उतनी नहीं होती थी जितनी की इंटरनेट पर लोगो के द्वारा अभी होती है, इस मंदिर की बनावट काफी विशाल और खुबसुरत है, इसके बनावट की तुलना रतनपुर के महामाया मंदिर से कि जाती है, सिंगारपुर अपने तहसील मुख्‍य शहर भाटापारा से 11.8 कि.मी. दूर, जिला मुख्‍यालय बलौदाबाजार से 34.8 कि.मी. दूर है और इसकी राजधानी रायपुर से 75 कि.मी. दूर है । सिंगारपुर में देवी माउली माता का एक प्रसिद्ध मंदिर है । माना जाता है कि शिव, ब्रम्‍हा और विष्‍णु की इच्‍छा से माउली माता यहां प्रकट हुई । माता माउली की प्रतिमा की स्‍थापना अत्‍यंत प्राचीन समय में की गई थी । मावली माता मंदिर सिंगारपुर भांटापारा बलौदा बाजार मावली माता को दंतेश्‍वरी माता की बहन कहा जाता है, माता के नाम से लोगो में बहुत आस्‍था है, कहा जाता है, माता लोगो की संतान संबंधी मनोकामना को पूरा करती है, मनोकामना पुर्ति के लिए यहां देश-विदेश से श्रद्धालु मां मावली के दर

Khuntaghat dam bilaspur chhattisgarh | खुंटाघाट जलाशय खारंग जलाशय रतनपुर बिलासपुर | Khuntaghat bandh bilaspur ratanpur | kharang jalashay sanjay gandhi jalashay ratanpur bilaspur

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Khuntaghat dam bilaspur chhattisgarh खुंटाघाट बांध छत्‍तीसगढ़ के प्रसिद्ध बांधों में से एक बांध है, यह बांध छत्‍तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के रतनपुर नामक धार्मिक नगरी के पास स्थित है, यह जगह बांध बनने से पहले एक गांव हुआ करती थी जिसे खुंटाडीह या खुटाघाट कहते थे । बिलासपुर जिला मुख्‍यालय से इस स्‍थान की दूरी 31 कि.मी. और रायपुर राजधानी से इसकी दूरी 148 कि.मी. है, पर्यटन की दृष्टि से यह जगह बहुत ही प्रसिद्ध है, साथ ही रतनपुर धार्मिक और पुरातात्‍विक स्‍थल के निकट होने के कारण इस जगह में लोगो की भीड़ 12 महीना बनी रहती है, इस बांध के बारे में बात करें तो यह बांध सन् 1920 में बनाया गया था जिसे सारंग नदी परियोजना- खुंटाघाट बांध या संजय गांधी परियोजना कहा जाता है, ब्रिटिश राज के समय इस बांध का निर्माण कि गया था उस जमाने में यह जगह एक छोटा सा गांव हुआ करता था जिसमें न्‍यून संख्‍या में लोग रहा करते थे जब बांध बनाने का प्रस्‍ताव लाया गया तो गांव वालो के द्वारा उसका विरोध भी किया गया खारंग द्वारा निर्मित इस बांध के निर्माण कि प्रकिया काफी रोचक है, जब यह बरसात में खारंग नदी द्वारा जलमग्‍न हो गया तो लो